Last modified on 21 मई 2014, at 15:35

तबमें जानकीनाथ कहो / सूरदास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:35, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तबमें जानकीनाथ कहो ॥ध्रु०॥
सागर बांधु सेना उतारो । सोनेकी लंका जलाहो ॥१॥
तेतीस कोटकी बंद छुडावूं बिभिसन छत्तर धरावूं ॥२॥
सूरदास प्रभु लंका जिती । सो सीता घर ले आवो॥३॥
तबमें जानकीनाथ०॥