Last modified on 26 मई 2014, at 10:58

छुअन / पुष्पिता

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:58, 26 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुष्पिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रेम
घुलता है
द्रव्य की तरह
पिघलता है

राग-प्रार्थना में
लिप्त जाती है आत्मा।

मुँदी पलकों के भीतर
प्रेम का ईश्वर
जुड़े हाथों के भीतर
हाथ जोड़े है
प्रेम।

प्रेम में
बगैर संकेत के
देह से परे हो जाती है देह।

रेखा की तरह
मिट जाती है देह
और अनुभव होती है
आत्मा की छुअन।