Last modified on 27 मई 2014, at 11:32

काला कोट / पुष्पिता

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:32, 27 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुष्पिता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कविताओं ने
पहन लिया है काला कोट
शब्दों का
समय के विरोध में

कविता का हर शब्द
हालात के मातम में मौन।

कुछ लोग लील लिए हैं
समय के प्रतिरोधी सच्चे शब्दों को

बहुत कम शब्द बचे हैं
जो बोलते हैं अपने अर्थ
शब्दों की मौलिक प्रकृति के साथ।