Last modified on 27 मई 2014, at 13:11

उदासी / केशव तिवारी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:11, 27 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव तिवारी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

किस किस को बताता
अपनी उदासी का सबब

किस किस से पूछता एक ऐसी उदासी
जिसमें बैचेनी न हो
हर तरफ फैली

एक मित्र ने कहा -- कामरेड
बिना वजह की उदासी भी
एक रूमान है
मैं उसे देखता रहा
वजहों पर बहस क्या करता
बेवजह कुछ करने में भी सुकून है उसे क्या बताता

ऊँट-सी तनी गर्दन लिए
कोर्इ कब तक रह सकता है
वैसे बगुलों-सी झुकी गर्दनें
देख कर भी डर जाता हूँ मै ।