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जिनगानी / कन्हैया लाल सेठिया

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होठां पर मुळकै जिनगानी
आंसू में टळकै जिनगानी।
जीवण री बळती जोत तळै
नित मरणूं रळके जिनगानी,

सै कांटा फूल कबीलै में
तिस सूखै बैठी लीलै में
मजलां स्यूं पैली गळै मिलै
सुख दुख री डगरयां अणजाणी,
होठां पर मुळकै जिनगानी
आंसू में टळकै जिनगानी।

पौ फाटी दिवलो बळ बुझग्यो
गळ बीज गयो जद रूंख उग्यो,
करणी स्यूं पैली मिट ज्यासी
आ करणै आळो कद जाणी ?
होठां पर मुळकै जिनगानी
आसूं में टळकै जिनगानी।

दिन हरक्यो मार अंधेरै नै
दिन मरग्यो जा’र अंधेरै में,
आं जीत हार रै बळदां मिस
नित चालै तेली री घाणी,
होठां पर मुळकै जिनगानी
आंसू में टळकै जिनगानी।