म्हारी गली रो
केसरियो कूकड़ो
जमीं पे बैठो-बैठो
घणा दिनां सूं
सूरज रै सरीर पै
अणी भरौसे
टूं चा मारै है क’
वणी रै बोलियां बिना
सूरज आंख्यां नी खोलेगा
म्हारा पाड़ोसी
कूकड़े अर सूरज री
हवाई लड़ाई पे
गै’रा जायने
सोचै है
थोड़ी-सी मिनख बुद्धि
रै भरोसे आपणी
अकल रा केस
खेंचै है क’
इण लड़ाई में
कूण लीलो व्हेगा
कूण जीत्यां पछै
आंपणी जीत रा
किस्सा कैवेगा
अण्ी रो कूण
कई कैय सके
आवा दो या बात तो
वखत ई’ज बोलेगा !