मेरा शरीर
मुझसे कहता है
मैं कभी भी नहीं छोड़ूँगा
साँस लेना
कभी नहीं छोड़ूँगा
खाना, पचाना, प्यार करना
मैं तुम्हारा शरीर
मैं कभी नहीं छोड़ूँगा
देखना
तुम कर क्या रहे हो मेरे साथ ?
तुम मुझे ले कहाँ जा रहे हो ?
क्यों तुम चाहते हो
मुझे इस हुक में
इस काली सीलिंग पर लटकाना ?
क्यों मुझे तुम
इस बहुमंज़िला इमारत की खिड़की से
बाहर धकियाना चाहते हो ?
तुम क्यों मुझे
भारी-भरकम पहियों के नीचे
फेंक देना चाहते हो ?
मुझे छोड़ दो यहीं,
इसी जगह
मैं इस साफ़-सुथरी, शुद्ध हवा में
गहरी-गहरी साँसें लेना चाहता हूं
मेरी जीभ एक सुन्दर लड़की के होठों के
भीतर जाना चाहती है
अगर तुम समूची दुनिया के भीतर
जाना चाहते हो
तो जाओ अकेले शौक से
मुझे यहीं छोड़ कर
मेरा शरीर
अपने आप से बात करता है
मैं जीऊँगा बिना किसी फ़िक्र के
तुम्हारे बग़ैर
मेरा शरीर त्यागता है मुझे
और प्रवेश करता है
तुम्हारी देह में
तुम्हारी हँसी, तुम्हारी चीख़ के
उजले दाँत झिलमिलाते हैं
वे बोलते हैं
वे बोलते हैं तब तक
जब तक यह शरीर मेरे पास है
लेकिन तुम यह नहीं देखते
तुम देखते हो मुझे सिर्फ़
जो मैं हूँ फ़कत
मेरा शरीर
तुम्हारे शरीर का स्पर्श करता है
और धीमे से कहता है :
'मैं यह जानता हूँ सब कुछ
पर हर हाल में
मैं तुम्हें
छूना चाहता हूँ....'
हमारे हाथ
हमारे होठ
हमसे ज़्यादा
समझदार हैं ।
(ताद्युश रोज़ेविच के कविता संग्रह, "वे कवि को देखने आए" (They Came to See a Poet) से, एडम चेर्नियाव्स्की के अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित)