Last modified on 30 जून 2014, at 23:02

आजु मोरा देवकी नहयली कि अपन घर गेली रे / मैथिली लोकगीत

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:02, 30 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= संस...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आजु मोरा देवकी नहयली कि अपन घर गेली रे
ललना रे, करू बसुदेव सँ संग, कि जन्म सफल हेत रे
पहिल सपन देवकी देखल, पहिल पहर राति रे
ललना रे, छोटी मोटी अमुआ के गाछ, कि फले-फूले लुबधल रे
दोसर सपन देवकी देखल, दोसर पहर राति रे
ललना रे, देखल केराक धौर, दुअरे बिच टांगल रे
तेसर सपन देवकी देखल, तेसर पहर राति रे
ललना रे, देखल बांसक बीट, दुअरे बिच गाड़ल रे
चारिम सपन देवकी देखल, चारिम पहर राति रे
ललना रे, पौरल छांछ भरि दही, आंचर तर झांपल रे
चुप रहू बहिन देवकी, आओर सहोदर हे
बहिनी हे सब क्षण अछि भगवान, कृष्ण जन्म लेल रे