Last modified on 1 जुलाई 2014, at 00:22

गौरी दुलहा के आजु परीछू सखिया / मैथिली लोकगीत

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:22, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गौरी दुलहा के आजु परीछू सखिया
बसहा चढ़ल शिव डामरु बजाबे, मुखमे ने दांत एको सखिया
गोरी दुलहा .....
तीन नयन भाल चन्द्र बिराजय, जटा मे गंगा बहय सखिया
गोरी दुलहा .....
मस्तक मौर सांप केर शोभिन, ओढ़थि बघम्बर छाल सखिया
गोरी दुलहा .....