Last modified on 3 जुलाई 2014, at 23:11

चौंतीस / प्रमोद कुमार शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:11, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सबद नांदियो है सिव रो
बैठ्यो नित रो ध्यान लगावै
-जगावै
सुरता नैं दंडौत थकां
मन मैलो है गंगोद थकां
इण सारू ध्यान लगा सिव रो
चौरासी रै जापै मांय
-क्यूं कुरळावै!