बठै तो हाथी, घोड़ा, पालकी
-सै हुसी
जठै बैकुंठ है सबदां रो
पछै म्हांनै कांई कमी है
पण म्हारी जीभ पर कायी क्यूं जमी है
अवस कोई
-भै हुसी
बठै तो हाथी, घोड़ा, पालकी
-सै हुसी।
बठै तो हाथी, घोड़ा, पालकी
-सै हुसी
जठै बैकुंठ है सबदां रो
पछै म्हांनै कांई कमी है
पण म्हारी जीभ पर कायी क्यूं जमी है
अवस कोई
-भै हुसी
बठै तो हाथी, घोड़ा, पालकी
-सै हुसी।