Last modified on 3 जुलाई 2014, at 23:26

अड़सठ / प्रमोद कुमार शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:26, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

क्यां तांई बण्यो सबद
-क्यां तांई स्रिस्टी
सोचूं जणै मन मांय गमी हूज्यै
म्हारी आंख्यां मांय नमी हूज्यै

अेक टोपो बिरम रो
रची
-आ गिरस्थी
जकै मांय चौरासी कुरळावै है
फगत सबद ई तोड़ै
-आ गिरफ्ती!