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पिच्चासी / प्रमोद कुमार शर्मा

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थे जाणो कोनी
पिछाणो कोनी
अजगर नैं
क्यूंकै देख्यो कोनी सांप्रतै

पण :
अबकै बो भाखा रै भेख मांय है
संभाळो! संभाळो!! गोथळी संवेदन री
भाखा री लड़ाई लेख मांय है