Last modified on 3 जुलाई 2014, at 23:37

छयांसी / प्रमोद कुमार शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:37, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रोवूं आठूं पौर
दुखै कोर-कोर
-कळपूं सबद नैं
जिण बिना अनाथ हूं
माटी रो मिंदर बणावतो हाथ हूं
दाझूं
-समद नैं।
के ठा कुणसी लै'र
म्हारी इमरत कला धौड़द्यै
अर म्हनैं समद कांठै
साव अेकलो रोवतो छोडद्यै।