Last modified on 3 जुलाई 2014, at 23:40

तिराणवै / प्रमोद कुमार शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:40, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हिड़दै-कमल मांय
बोलै ब्रह्मा च्यारूं मुख
-दुख
तो घणाई उठावै बापड़ी मां
जद पेट मांय जीव पड़ै
पींजरो परमात्मा जद सरीर रो घड़ै
उण बगत :
आत्मा री तांत-तांत ऊपर
-आंत-आंत ऊपर
सांवरो लिखै आपरो नाम
-राम
राम पण अबै कठै बजारां मांय
अबै तो राकस भैरूं धुकै दरबारां मांय
कुतिया फाड़ता फिरै किताबां नैं
कवि कठै राखै आपरै खिताबां नैं

फोनां ऊपर व्याकरण घरणावै है
जणो-कणो सुरता नैं अरथावै है
पण जगति रो अरथ साम्हीं कोनी
सांप तो घणाई पण बांबी कोनी

भाखा बापड़ी घणी कुरळावै है
फेरूं मीरां, कबीर, दादू नैं बुलावै है।