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उणचाळीस / प्रमोद कुमार शर्मा

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कुण सुणै है भाई
क्यूं अलापै है राग
-जाग!
अब तो सोच कठै खड़्यो है
अरे म्हारी सुरता रा माणसिया!
सबद अंधारै मांय पड़्यो है।