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इक्यावन / प्रमोद कुमार शर्मा

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आंधो बन्नो सुथार भलो हो
जको घड़ दी माता करणी री मूरत
-सूरत
देख लीवी काळी रात्यां मांय
सोध लियो तत् मायड़ री बात्यां मांय

पण अबै सुजाखां नैं भी मां नीं दिस्सै
भाखा री दीठ पूगगी किसै हिस्सै
नाचै अर नचावै
-आ जूरत!