Last modified on 4 जुलाई 2014, at 07:06

सड़सठ / प्रमोद कुमार शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:06, 4 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अै सगळा भोळा है
जका आपसरी मांय विस्वास करै
जदकै भाखा रो विस्वास सिधरग्यो
-निसरग्यो
राम सांप्रतै ई सबद रो
भूत-भूंवाळी खावै भाव
कुनबो भाखा रो
-कियां बिखरग्यो!