Last modified on 4 जुलाई 2014, at 07:07

तिहत्तर / प्रमोद कुमार शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:07, 4 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जुद्ध है
बडो भारी जुद्ध है
माणस मार विद्यावां सरजीवण हुयगी
दुस्मी गायां री जंगळ में सीवण हुयगी

किणी ढाळै आप संवेदन रुखाळोगा
या इयां ई मंचां ऊपर थूक उछाळोगा
जदकै भाखा ई
-असुद्ध है।
जुद्ध है
बडो भारी जुद्ध है।