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इकाणवै / प्रमोद कुमार शर्मा

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रोळो भोत मचाती
-काकी
चाकी पर जे जम जावती धूड़
बोलती कोई बीनणी सरे आम कूड़

पण अबै :
चाकी री ठौड़ रेडिमेट आटो है
अर बीनण्यां नैं भी किस्यो
-कपट रो घाटो है

इण वास्तै :
घर-घर मांय कांस है
भाखा नैं अड़कांस है
नीं रैयो सत्
-बाकी
रोळो भोत मचाती
-काकी।