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बाणवै / प्रमोद कुमार शर्मा

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मां है तूं भाखा
-साखा
हूं म्हैं तो अेक तेरी पतळी-सी
गळी हुवै जियां कोई संकड़ी-सी
जठै अंधारघुप है
देखी मां!
अबकै स्याणा चुप है।