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सिताणवै / प्रमोद कुमार शर्मा

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कठै सूं ल्यावां सबद
सरीर तो झूठा है

अवस सबद आत्मा रो खेल है
पण आपणो कठै आत्मा सूं मेळ है

परा, पश्यन्ति अर बैखरी
तीनां रै मद मांय रैवणो है
या
आत्मा री हद मांय रैवणो है
ओ आप पर निर्भर है
सबद तो
आत्मा रो मिमझर है।