धूम धड़ाका
बजे पटाखा
भड़ाम से बोला
बम फटा था ।
सर्र-सर्र से
चक्करी चलती
फर्र-फर्र
फुलझड़ी फर्राटा ।
सूँ-सूँ करके
साँप जो निकला
ऐसे लगा मानो
जादू चला था ।
फटाक-फटाक
चली जो गोली
ऐसा भी
पिस्तौल बना था ।
ऐसी गज़़ब की हुई दिवाली किलकारी का शोर मचा था ।
हुर्रे-हुर्रे का
शोर मचाकर
बच्चों का टोला
झूम रहा था ।
जगमग हो गई दुनिया सारी ख़ुशियों का पहिया घूम रहा था ।।