Last modified on 27 जुलाई 2014, at 18:54

देह / अशोक कुमार शुक्ला

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:54, 27 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

देह एक बूंद ओस की नमी
......पाकर ठंडाना चाहते है सब
देह एक कोयल की कूक
......सुनना चाहते हैं सब
देह एक आवारा बादल
......छांह पाना चाहते हैं सब
देह एक तपता सूरज
......झुलसते हैं सब
देह एक क्षितिज
.....लांधना चाहते हैं सब
देह एक मरीचिका
......भटकते हैं सब
देह ऐक विचार
.......पढना चाहते हैं सब
देह ऐक सम्मान
.......पाना चाहते हैं सब
देह एक वियावान
.......भटकना चाहते हैं सब
देह एक रात
......जीना चाहते हैं सब
और
देह ऐक दवानल
......फंस कर दम तोडते है सब