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सिट्टचारू / पढ़ीस

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हम सुन्यन आजु हयिं पँज पेड़वन म डिपटी के मुकामु हुकुम आवा कि करी जयि का साह्यब क सलामु। कारचोबी का अँगरखा, घुटन्ना मुसुरू का जामदानी का डुपट्टा, गरे माँ गलजिन्दा<ref>गले में लपेट कर बाँधी गयी छोटी चुन्नी स्कार्फ</ref> धरि कयि मूँड़े प झलकदार चँगरिया<ref>छोटी डलिया या टोकरी</ref> आयन, ठसक ते ठीस ते बीरा<ref>पान का बीड़ा</ref> चबायि मुस्क्यान्यन। चढ़ि कयि घ्वाड़ा प बडे़ ठाठ ते थाँम्यन जो लगामु चला सरपट्टि क अब का कही तुमते का नाउँ बात की बात माँ तम्बुन कि तरे ठाढ़ भयन साह्यब सलाम किहिनि, हम मुलउ जुहार<ref>नमस्कार</ref> किह्यन।