एक नीली रोशनी
मेरे वस्त्रों से नमूदार हो रही है
मध्य-शीत
बर्फ की डफली खड़खड़ा रहा है
मैं अपनी आँखें बंद कर लेता हूँ
वहाँ एक मूक दुनिया है
वहाँ एक दरार है
जहाँ से मृतक
चोरी-छुपे सीमा-पार भेजे जा रहे हैं
(अनुवाद : प्रियंकर पालीवाल)
एक नीली रोशनी
मेरे वस्त्रों से नमूदार हो रही है
मध्य-शीत
बर्फ की डफली खड़खड़ा रहा है
मैं अपनी आँखें बंद कर लेता हूँ
वहाँ एक मूक दुनिया है
वहाँ एक दरार है
जहाँ से मृतक
चोरी-छुपे सीमा-पार भेजे जा रहे हैं
(अनुवाद : प्रियंकर पालीवाल)