Last modified on 25 अगस्त 2014, at 23:01

आँख रहती है हमेशा नम तुम्हारी याद में / रविकांत अनमोल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:01, 25 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविकांत अनमोल |संग्रह=टहलते-टहलत...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आँख रहती है हमेशा नम तुम्हारी याद में
हैं निहाँ दुनिया के सारे ग़म तुम्हारी याद में

तुम ही बाइस हो मिरी हर इक ख़ुशी का रंज का
तुमसे मिलने में ख़ुशी है ग़म तुम्हारी याद में

तुम तो शायद याद भी करते नहीं हम को कभी
खोए रहते हैं हमेशा हम तुम्हारी याद में

ख़ाब में भी अब तुम्हारी दीद मुश्क़िल हो गई
नींद भी आती है अब तो कम तुम्हारी याद में

गर्मियाँ हों सर्दियाँ हों, क्या बहारें, क्या ख़ज़ां
एक सा लगता है हर मौसम तुम्हारी याद में