Last modified on 28 अगस्त 2014, at 16:38

क़ातिल / पीयूष दईया

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:38, 28 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पीयूष दईया |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

स्त्रियों से छल करना सीखना चाहिए
                             --चाणक्य

एक रूपसी से रसकेलि करते हुए
मेरे हाथ प्यार के सिवाय कुछ न लगा
सो मैं पलट आया

मरदाने तरह से
वक़्त को अपनी जेबों में डाले
आज़ाद

मेरी कल्पना में क़ातिल कला है
ख़़ूबसूरती