Last modified on 1 सितम्बर 2014, at 13:10

बंदरगाह / स्वप्निल श्रीवास्तव

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:10, 1 सितम्बर 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सात समुंदर पारकर मैं पहुंचता हूं तुम्हारे पास
तुम मेरे लिए बंदरगाह की तरह हो
जहां मेरे मन को मिलता है विश्राम
तुम्हारे पनाहगाह में ठहरकर
मैं आगामी यात्रा के लिए रवाना होता हूं
मैं अपनी दुनिया का कोलम्बस हूं
भटकता रहता हूं समंदर दर समंदर
खेलता रहता हूं तूफानों से
सारी जहाजें डूब जाने के बाद
मुझे उम्मीद है कि मुझे
तुम्हारे बंदरगाह में मिलेगी शरण