Last modified on 31 दिसम्बर 2007, at 14:20

मैंने उसको... / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:20, 31 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं-1 / केद...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मैंने उसको

जब-जब देखा,
लोहा देखा,
लोहा जैसा--
तपते देखा,
गलते देखा,
ढलते देखा,

मैंने उसको

गोली जैसा
चलते देखा !