Last modified on 30 अक्टूबर 2014, at 13:47

पिता / अवनीश सिंह चौहान

Abnish (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:47, 30 अक्टूबर 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पिता हमाए

मैं रोया तो
मुझे चुपाया
‘बिल्ली आई’
कह बहलाया

मुश्किल में
जीवन जीने की-
कला सिखाए
पिता हमाए

नदिया में
मुझको नहलाया
झूले में
मुझको झुलवाया

मेरी जिद पर
गोद उठाकर
मुझे मनाए
पिता हमाए

जब भी फसली
चीजें लाते
सबसे पहले
मुझे खिलाते

कभी-कभी खुद
भूखे रहकर
मुझे खिलाए
पिता हमाए

शब्द सुना
पापा का जबसे
मैं भी पिता
बन गया तब से

मधुर-मधुर-सी
संस्मृतियों में
अब तक छाए
पिता हमाए