हिमालय की बहती मिट्टी,
पर सवार गंगा प्रयाग जा रही है
आसमान में उड़ती चील के टूटे पंख से
मिलने ।
एक पत्ती पर
पंख अटक गया है ।
जो ओस उसे रोके है
वह गिर पड़ेगी उसे लिए ।
शंकर की चोटी ढीली हो गई ।
हिमालय की बहती मिट्टी,
पर सवार गंगा प्रयाग जा रही है
आसमान में उड़ती चील के टूटे पंख से
मिलने ।
एक पत्ती पर
पंख अटक गया है ।
जो ओस उसे रोके है
वह गिर पड़ेगी उसे लिए ।
शंकर की चोटी ढीली हो गई ।