Last modified on 10 नवम्बर 2014, at 12:58

उनकी प्यारी प्यारी आँखें / रविकांत अनमोल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:58, 10 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविकांत अनमोल |संग्रह=टहलते-टहलत...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उनकी प्यारी प्यारी आँखें
हैं क़ुर्बान हमारी आँखें

जाने किन ख़ाबों में गुम हैं
कजरारी कजरारी आँखें

इक टक उनको देख रही हैं
इस दुनिया की सारी आँखें

जब आँखों की बात चली तो
आईं याद तुम्हारी आँखें

जीना मुश्क़िल कर देती हैं
उनकी ऐन कुँवारी आँखें

नागालैंड की देख के वादी
जाती हैं बलिहारी आँखें

जीत से रौशन चेहरों की हैं
कैसी हारी हारी आँखें

आस का दामन छोड़ चुकी हैं
दर्दो-ग़म की मारी आँखें

ज़रा दिलासा दे कर देखो
रो देंगी बेचारी आँखें