ईर्ष्या की अग्नि में फूँके जा रहे थे लोग
वे ही जो क्षुद्र, नीच कलुषित हृदय के थे
वंचक थे, छली और कपटी, दुराचारी,
डाही, कृतघ्न, कुटिल,सहचर अनय के थे
वासव के प्रति मूर्तिकार का लगाव देख
भाव क्षुद्र मानस में अधम तम विषय के थे
कोंकण निवासी को कर दें परलोकवासी
घड़ी-घड़ी अधमाधम ताक में समय के थे