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जश्न / मणि मोहन

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कुछ कहा मैंने
कुछ उसने सुना
फिर धीरे-धीरे
डूबती चली गई भाषा
सांसों के समंदर में..
हम देर तक
मनाते रहे जश्न
भाषा के डूबने का ।