Last modified on 12 दिसम्बर 2014, at 16:32

फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गया / सगीर मलाल

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:32, 12 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सगीर मलाल |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> फिर इ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गया
जब ख़ाक से ख़याल नुमूदार हो गया

इक दास्तान-गो हुआ ऐसा कि अपने बाद
सारी कहानियों का वो किरदार हो गया

साया न दे सका जिस दीवार का वजूद
उस का वजूद नक़्श-ब-दीवार हो गया

आँखें बुलंद होते ही महदूद हो गईं
नज़रें झुका के देखा तो दीदार हो गया

वो दूसरे दयार की बातों से आश्‍ना
वो अजनबी क़बीले का सरदार हो गया

सोए हुए करेंगे ‘मलाल’ उस का तजज़िया
इस ख़्वाब-गाह में कोई बेदार हो गया