Last modified on 11 जनवरी 2015, at 09:08

बानी / विजेन्द्र

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:08, 11 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेन्द्र |संग्रह=भीगे डैनों वाल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बेमन, बेमन रहता हूँ
बादल आये
आतप आये
बिना बिताये सहता हूँ
जो देखा-
जो सुना, चखा रस हूँ
अपनी बानी कहता हूँ ।
नहीं हुआ
जो चाहा हर दम
सपना देखे आता हूँ
जली आँच
दीपित होती है
लोहा जैसे दहता हूँ
उदय छोड पीछे मैं आया
मर्म छिदा तब गाना गाया
अस्त देख अब लहता हूँ ।
              2001