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काळ रो जाळ / कन्हैया लाल सेठिया

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लागतां ही
चैत
चालै बळती,
खूंखावै आंध्यां,
झड़गी
खेजड़्या री
काची मींझर
गिरग्यो सांगर्यां रो
गरभ,
लुकग्या
भाज’र सरकनां में
रोहीड़ा रा रूड़ा फूल,
हुग्या
साव
नागाबूचा
फोगला’र कैर
बाणच रै नांव पर
ऊभी है
कोढ्यां री आंगळयां सी
घिनायोड़ी डंडाथोर,
चरगी रेवड़
जड़ समेत चूंटी
पड़्या है
माजनो पाड़्योड़ा सा
मूंडै बोलता खेत,
बंधगी गेलां में
ओकळयां
हुग्या आंतरै
नेड़ा बरस्योड़ा गांव
बिछावै
काळ
आप रो जाळ
हुसी कोजो हाल,
पण कोनी कीं उपाव
खासी मुरदार मांस
ओ ळिकतो जरख
हूण डाकण री असवारी !