Last modified on 9 जनवरी 2008, at 21:16

मैंने देखा / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:16, 9 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=आग का आईना / केदारनाथ अग्रवा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)




मैंने देखा

दिन का शीशा :

मुझ से बड़ा

पक कर

खड़ा है मेरा बोया

अनाज

बड़ा ख़ुश हूँ मैं आज


(रचनाकाल : 25.10.1965)