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सरदी आई / दीनदयाल शर्मा

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सरदी आई ठण्डक लाई
ओढें कम्बल और रजाई

कोट स्वेटर टोपी मफ़लर
इन सबकी करते भरपाई..

ठण्डी चीज़ें नहीं सुहाती
गरम-गरम सबके मन भायी..

नहाने से डरते हम बच्चे
लगता जैसे आफ़त आई..

पंखे कूलर बन्द कर दिए
अब हीटर की बारी आई..

गाँवों में सब आग तापते
बैठे-बैठे करें हथाई..

गज्जक मूँगफली लड्डू खा कर
चाय की प्याली खनकाई..

सूरज निकला धूप सुहाई
गली-गली में रौनक छाई...