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किसान गीत / चन्द्रमणि

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मूनै छह आँखि तऽ रहि जाइये परती
फोलै छह आँखि तऽ नाचैये धरती
तोरे ले‘
भेल तोरे ले‘ नवका विहान
जागह जागह हओ भइया किसान-2
हाथमे तोरा बास अमृत केर
भूखल मरबह कोना
तोरे सन बेटा तें धरती
उगलै मोती सोना
मनुखक चारू धाम ओहि ठाम
घाम सहि कऽ तों कएलह काम।। जागह-2
अनकहि ले छऽ अपर्तित जीवन
तदऽपि बड़द टा संगी
बस्तर तन पर मात्र लंगोटी धन्य धन्य बजरंगी
हे हलधर धन भरलह घर-घर
पतिराखन हनुमारन जागह-जागह
श्रमक उमंग उठल छह मनमे
धमनीमे तुफान,
एको पल अछि चैन तोरा नइ
जा भूखल इनसान
माटिक लाल लाज दुनियाके
तोरा पर अभिमान । जागह-जागह