Last modified on 30 मार्च 2015, at 22:27

भगवान करे...!!! / येव्गेनी येव्तुशेंको

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:27, 30 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= येव्गेनी येव्तुशेंको |अनुवादक=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, संभव है
मैं अकेला होता जाऊँगा

जैसे-जैसे वर्ष गुज़रेंगे, संभव है
मैं शेष नहीं हूँ, समझ जाऊँगा

जैसे-जैसे बदलेगी शताब्दियाँ, संभव है
मैं लोगों की स्मृति से गु़म हो जाऊँगा

पर हो न ऐसा कि दिन बीतें जैसे-जैसे
मेरे जीवन में शर्म बढ़े वैसे-वैसे

पर हो न ऐसा कि वर्ष गु़ज़रें जैसे-जैसे
ताश का गु़लाम बन जाएँ हम वैसे-वैसे

पर हो न ऐसा कि शताब्दियाँ बदलें जैसे-जैसे
हमारी कब्रों पर थूकें लोग वैसे-वैसे