आज की औरतों ने
खीसे से गिरा दी है
थकान अवसाद मसरूफ़ियत
और डाल ली है अपने वालेट में
अनुभव की कस्तूरी
जिसे खर्च कर रही हैं वो
नई इबारते लिखने में
कुछ कस्तूरी बचा ली है
इसलिए कि उन्हें
अपनी गुज़रती हुई पीढ़ी के खाते में उन्हें जमा करना है
और कुछ अपनी पुश्तों के कर्ज़ उतारने में