समन्दर के एक गुप्त किनारे पर
श्वेत कबूतर की तरह हम
प्यासे थे दोपहर में
लेकिन पानी खारा था।
सुनहरी रेत पर हमने
उसका नाम लिखा
लेकिन समुद्र ने फूँक मार कर छोड़ी हवा
और उसका नाम मिट गया
किस भावना और किस इच्छा के साथ
क्या कामना और किस जुनून के साथ
अपना जीवन जी रहे थे हम
क्या ग़लती हो गई
क्यों हमने बदल दिया वह जीवन ?