Last modified on 25 अप्रैल 2015, at 17:04

बच्यारौ म्हूं / प्रेमजी प्रेम

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:04, 25 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमजी प्रेम |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatRa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रामजी की चिड़िया
रामजी कौ खेत
फेर म्हें कुण?
म्हारौ कांई?
कांईं म्हूं अर कांईं म्हारी ज्यात?
पेट भर्यां पाछै भी
चांच भर’र उड ज्या छै
चड़कल्यां
चड़कल्यांन का पळ र्या छै
पूरा का पूरा खांनदांन
अर म्हूं
बणर्यौ छू गंगाराम
रामजी की चड़कल्यां
आवै छै, खावै छै
रामजी कौ खेत।
म्हूं बादळ्यां की मनवार करूं छूं
म्हूं खरार-खरूर करूं छूं
म्हूं ई पटकूं छूं खाद-बीज
पण रामजी का राज में
म्हारा गोफ्या कै आगै
ऊभी होज्या छै
बाप-दादां की बात
रामजी की चिड़िया
रामजी कौ खेत
खावौ री चड़कल्यां
भर-भर पेट।