रचनाकार: |
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े ।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े ॥
कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये ।
हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े ॥
पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते ।
भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े ॥
तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी ।
तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े ॥
ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना ।
हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े ॥