Last modified on 4 मई 2015, at 16:15

बजार / निशान्त

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:15, 4 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नै’री गावां री
बात तो अळगी ही

उण आप रो जाळ
बिरानी गावां तक ई
(जठै ज्यादातर काळ पड़ै)
बिछा दियो

कैयो-म्हैं थानै
अगाड़ी ले ज्याऊँला
नुवों च्यानणों
दिखाऊंला

लोग बीं री बातां में
इस्या आया कै
थोड़ी-भौत
जकीह रोही री हरियाळी
अर चै’रां री
चिकणाई ही
बा ई गमा बैठ्या।