Last modified on 9 मई 2015, at 11:39

बै अर आपां / निशान्त

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:39, 9 मई 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बै खेतां मांय
निपजै तो ई खावै
आपां बाकी रा सै
लूटां
पहाड़
जंगल
नदी
समंदर
धरती री कूख
अर सागै-सागै
बानै भी ।