Last modified on 9 मई 2015, at 16:49

तिणकलो / निशान्त

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:49, 9 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तिणकलै नै मामूली गिणो थे
क्यूं ....कदेई सुण्यो कोनी के
ओ मुहावरो कै
डूबतै नै तिणकलै रो सा’रो
इत्तो ई क्यूं
तिणकलो-तिणकलो जोड़यां ई
जगाई जा सकै आग
आग जकी बुझावै पेट री आग
अर सियालै मांय दूर करै सी’
असल बात तो आ कै
आग भलाऊं किसी ई होवै
तिणकलां स्यूं ई
सरू करीजै
तिणकलो भलांई
फूंक स्यू हाल जावै
पण फूंक स्यूं बणाइजै कोनी
ईं नै बी पैदा करण मांय
माटी-पाणी सो’ कीं चाईजै
अर छोटै स्यूं छोटो तिणकलो
पैदा करण मांय
अेक-दो म्हीनां
लाग ज्यावै ।