Last modified on 9 मई 2015, at 16:52

घर रो घेरो / निशान्त

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:52, 9 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बस मांय बैठया लोग
देखै इन्नै-बिन्नै
का बातां करै
सड़क माथै खड़्या
फरांसां री
आंवतै -जांवतै
गामां री
पण बा बुणै
बिच्यारी
सळाइयां माथै कीं न कीं ।